कोरोना से फेफड़ों के खराब होने का बड़ा खतरा, ठीक होने के बाद भी लोगों में सांस की समस्या आ रही है सामने
दिल और कैंसर के बाद फेफड़ों से सम्बंधित रोग दुनियां में मौतों का जहां सबसे बड़ा कारण हैं वहीं कोविड-19 महामारी भी फेफड़ों के खराब होने के बड़े खतरे के रूप में सामने आई है। पंचकूला स्थित पारस अस्पताल के फेफड़ों से सम्बंधित रोगों के विशेषज्ञ डॉ. एस. के. गुप्ता और डा. सुमित जैन ने बताया कि दुनिया में लाखों की संख्या में लोग क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़(सीओपीडी) यानि श्वसन प्रणाली से जुड़े रोगों से पीडि़त हैं जिनमें एम्फिसेमा, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस(श्वसन नली में सूजन) , रिफ्रैक्टरी अस्थमा यानि न ठीक होने वाला दमा जैसे रोग प्रमुख हैं। श्वसन सम्बंधी रोग मौसमी परिवर्तनों, धुएं, धूम्रपान, प्रदूषण, नमोनिया और संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं जिनसे फेफड़ों अवरूद्ध होने लगते हैं और सांस लेने की क्षमता धीरे धीरे कम होती जाती है। थोड़ा सा चलने से सांस लेने में तकलीफ होने या सांस फूलने लगती है जिसके परिणाम स्वरूप शरीर में ऑक्सीजऩ की मात्रा कम होती जाती है। डॉ. गुप्ता और डा. जैन के अनुसार भारत सीओपीडी का गढ़ बनता जा रहा है जहां कुल आबादी का पांच से सात प्रतिशत लोग ऐसी बीमारियों के चपेट में हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। सवेर्क्षणों के अनुसार पुरूषों में सीओपीडी के लक्ष्ण 22 प्रतिशत और महिलाओं में 19 प्रतिशत तक पाए गए हैं। इन्होंने बताया कि शुरूआत में ऐसे रोगों का पता नहीं चल पाता है या फिर लोग समुचित जांच कराने में लापरवाही बरतते हैं। ऐसे रोगों का समय रहते अगर पता चल जाए तो इनका इलाज सम्भव है लेकिन समस्या गम्भीर होने पर ये लाईलाज हो जाते हैं और घातक साबित हो सकते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार कोविड-19 संक्रमण के फेफड़ों में चले जाने पर यह इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। यह फेफड़ों की न केवल कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है बल्कि इसके हिस्सों को डैमेज़ भी कर सकता है। देश में कोविड-19 महामारी के पीडि़तो के ठीक होने के बाद भी उन्हें सांस लेने में समस्या सामने आ रही है। ऐसे में देश में फेफड़ों और श्वसन सम्बंधी रोग भविष्य में तेजी से बढ़ेंगे। इन्होंने बताया कि जब भी किसी व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो उसे इसे नजऱंदाज न कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और उसकी परामशार्नुसार उपचार लेना चाहिए।